मानव अधिकार आयोग ने ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर से एक महीने में मांगा जवाब, ये है कारण

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर (Gwalior) के विकास की बातें भले ही राजनेता कितनी भी करें लेकिन हकीकत बिलकुल इससे उलट है। शहर का नागरिक सड़कों के गड्ढों का दंश झेल रहा है, उसमें गिरकर घायल हो रहा। ये बात अलग है कि ग्वालियर जन प्रतिनिधियों को ये गड्ढे दिखाई नहीं देते। अब इस मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग (MP Human Rights Commission)  ने संज्ञान लिया है और ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर (Gwalior Municipal Corporation Commissioner) को नोटिस देकर एक महीने में इस पर जवाब मांगा है।

करोड़ों रुपये की विकास योजनाओं के वादों और दावों के बीच ग्वालियर की जनता बुनियादी जरूरतों के लिए परेशान है। सबसे महत्वपूर्ण जरुरत में से एक शहर की सड़कें बदहाल हैं। शहर के मोहल्लों की गलियों से लेकर मुख्य मार्ग तक पर बड़े बड़े गड्ढे हैं जिनके लिए जनता शिकायत कर चुकी है विपक्ष आंदोलन कर चुका है लेकिन नगर निगम के अधिकारियों को ये सब दिखाई नहीं देता।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....