मंत्रालय में बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अन्य राज्यों के अध्ययन के निर्देश दिए हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग से ओबीसी आरक्षण को लेकर तथ्यात्मक की स्थिति पर जानकारी की मांग की गई है। बता दें कि ओबीसी आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में पुनर्विचार के लिए दाखिल है। वहीं हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण को 27% पर रखने के लिए सरकार ने कई तरह की जानकारी तैयार कर लिया।
इस मामले में ट्रिपल टेस्ट को प्रदेश में लागू किए जाने पर विचार किया जा रहा है।CM शिवराज ने निर्देश दिए कि आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट पर अन्य राज क्या फैसला ले रहे हैं, इस बात की जानकारी निकली जाए। वहीं राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ओबीसी की आबादी-जिले में जनसंख्या की जांच के लिए तहसीलदार तैयार कर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
निगम मंडल में इमरती को मिला लघु उद्योग निगम, बोलीं- सिंधिया मेरे भगवान
मामले में आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन का कहना है कि इस कार्य में 3 माह का समय लगेगा। 3 माह के बाद आयोग राज्य शासन को ओबीसी पर रिपोर्ट पेश करेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट लागू करने के लिए राज्य स्तरीय आयोग के गठन की स्थापना की जाए। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि किस आधार पर आरक्षण कहते हैं किया जाए।
ट्रिपल टेस्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शिवराज सरकार को कहा था कि इस टेस्ट के पालन किए बिना आरक्षण का फैसला स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमें चुनाव कानून के दायरे में रहकर ही करवाने हैं। यदि चुनाव में कानून का पालन किया जाएगा तो चुनाव को रद्द किया जा सकता है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जनवरी में सुनवाई करेगी।
इससे पहले 23 दिसंबर को सरकार की तरफ से जारी एक आदेश में प्रदेश के 22000 पंचायत सचिव सहित 12000 पटवारी और कई हजार रोजगार सहायक को OBC Voters की गिनती का कार्य सौंपा गया है। 10 दिन के भीतर से गिनती को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। 23 जनवरी को जारी इस आदेश में कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि जल्दी ओबीसी वोटरों की गिनती पर रिपोर्ट तैयार कर राज्य शासन को सौंपी जाए। वही 7 जनवरी तक काम पूरा हो जाना चाहिए। वोटों की गिनती सभी ग्राम पंचायत के वार्ड और पंचायत स्तर पर होगी।
जिसके बाद उनकी एक्सल शीट तैयार की जाएगी। आदेश में कलेक्टर को निर्देश दिए गए हैं कि ग्राम पंचायत के पंचायत समिति को पिछड़े वर्ग के उल्लेखित जातियों की सूची उपलब्ध कराई जाए। इसके लिए पंचायत स्तर पर OBC Voters की नई लिस्ट तैयार होगी। मतदाता सूची विषय पर OBC मतदाताओं को अंकित किया जाएगा। वहीं पंचायत वार और वार्ड में कुल मतदाताओं में ओबीसी के मतदाताओं का प्रतिशत कितना है, इसको निकाल कर उसकी एक्सल शीट तैयार की जाएगी। सरकार की तैयारी है कि ओबीसी वोटरों की नई लिस्ट के तहत एक तरफ जहां वोटों की गिनती में तेजी आएगी। वहीं दूसरी तरफ इसे ओबीसी आरक्षण में अपनी स्थिति मजबूत रखने के लिए कोर्ट में पेश भी किया जा सकता है।
ट्रिपल टेस्ट में राज्य के भीतर स्थानीय निकाय के रूप में जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना की जाती है। इसके अलावा आयोग की सिफारिश के मुताबिक निकाय चुनाव में प्रावधान किए जाने के साथ-साथ आरक्षण के अनुपात को तय किया जाता है। वही किसी भी मामले में आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी के पक्ष में 50% से अधिक आरक्षण % नहीं होने के निर्देश दिए जाते हैं। वही ओबीसी के 27% आरक्षण मामले कोई लागू किया जाता है तो प्रदेश में आरक्षित कुल सीटों की संख्या 50 से अधिक हो जाती है। वर्तमान में प्रदेश के पंचायतों में 60% सीटें रिजर्व है। जिसको लेकर मामला गरमा गया है।