Employees Retirement Age : देशभर में सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि को लेकर चर्चा जारी है। लगातार अधिकारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति आयु में बढ़ोतरी की मांग की जा रही है। इसी बीच अब हाईकोर्ट द्वारा राज्य शासन से सेवानिवृत्ति उम्र में वृद्धि को लेकर जवाब मांगा गया है।
फैसले को डबल बेंच में चुनौती
दरअसल राज्य शासन द्वारा शहर के निजी और एडेड कॉलेज के प्रोफेसर की रिटायरमेंट आयु शासकीय प्रोफेसर के समान किए जाने से इंकार कर दिया गया है। कोर्ट के सिंगल बेंच के इस फैसले के बाद अब इस फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी गई है। इसके लिए अपील दायर की गई है। जिस पर हाई कोर्ट द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन से इस मामले में जवाब तलब किया गया है।
हाई कोर्ट की डबल बेंच राजेश भारद्वाज और अनूप जैन की खंडपीठ द्वारा मामले की सुनवाई की गई। इस मामले में जस्टिस आलोक जैन ने खुद को इस मामले से अलग करते हुए अपील को अन्य बेंच को रेफर किए जाने के लिए चीफ जस्टिस को भेज दिए हैं। चीफ जस्टिस के आदेश पर हाईकोर्ट के अन्य खंडपीठ द्वारा इस पर सुनवाई की जा रही है।
सेवानिवृत्ति आयु को 60 से बढ़ाकर 65 करने की मांग
दरअसल हरियाणा के शासकीय कॉलेज में प्रोफेसर की सेवानिवृत्ति आयु को 60 से बढ़ाकर 65 किया गया। यूजीसी के रेगुलेशन के अनुसार इसमें बदलाव किए गए हैं। ऐसे में निजी एडेड कॉलेज के प्रोफेसर के भी मांग है कि उनकी विषय में निर्णय की आयु 65 की जाए क्योंकि उनका कॉलेज भी एआईसीटीई और यूजीसी रेगुलेशन के तहत ही सम्मिलित है। इस पर एक निजी एडेड कॉलेज के प्रोफेसर द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
सिंगल बेंच ने की याचिका खारिज
याचिका में कहा गया कि 29 मार्च को शहर के कॉलेज के प्रोफेसर की सेवानिवृत्ति आयु को 5 वर्ष के लिए बढ़ाया गया था। निजी कॉलेज और एडेड कॉलेज के प्रोफेसर इसको भी इस सुविधा का लाभ मिलना चाहिए। जिस पर सुनवाई करते हुए सिंगल बेंच के जस्टिस राजवीर सेहरावत ने 23 दिसंबर को याचिका खारिज कर दी और कहा कि 29 मार्च की नोटिफिकेशन शहर के शासकीय कॉलेज के प्रोफेसर के लिए मान्य है जबकि याचिकाकर्ता निजी एडेड कॉलेज में कार्यरत हैं। ऐसे में उन्हें नोटिफिकेशन के तहत राहत नहीं दी जा सकती।
सिंगल बेंच के इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता द्वारा हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील दायर कर इस फैसले को चुनौती दी गई है। जिस पर सुनवाई करते हुए इसे अन्य बेंच को रेफर किया गया है और याचिका पर बिना कोई आदेश जारी किए सुनवाई स्थगित कर दिया गया। इस मामले की अगली सुनवाई में राज्य शासन को अपनी तरफ से जवाब पेश करना होगा।