यूपी में शासन के प्रस्ताव को लेकर डोकरी के संगठन का विरोध शुरू हो गया है। पीएमएस की तरफ से महानिदेशक को चिट्ठी लिखी गई है। जिसमें आर पार की लड़ाई की चेतावनी दी गई है। बता दे कि शासन की मंशा के अनुसार 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु को 70 वर्ष तक करने का निर्णय लिया गया। हालांकि इस मामले में हाई लेवल कमिटी के सदस्य को बढ़ाने पर अपनी टिप्पणी देंगे। हालांकि हाई लेवल कमिटी के सदस्यों का मानना है कि सेवानिवृत्ति आयु को नहीं बढ़ानी चाहिए। 7 सदस्यीय हाई लेवल कमिटी द्वारा मंगलवार को बैठक में महानिदेशक को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।
मामले में सभी पक्षों की राय जाने के लिए महानिदेशक द्वारा निदेशक केएन तिवारी की अगुवाई में 7 सदस्यीय कमेटी का आयोजन किया गया है। जिनमें अतिरिक्त निदेशक प्रशासन संयुक्त निदेशक कार्मिक महानिदेशक परिवार कल्याण से नामित लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा नामित स्तर 3 पर एक डॉक्टर सहित अन्य अधिकारी शामिल है। राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरी की सेवानिवृत्ति उम्र मौजूदा 62 साल को बढ़ाकर पहले विश करने की तैयारी की गई है। इसके साथ ही से 70 वर्ष तक बढ़ाए जाने की तैयारी की गई।
बिंदुओं पर चर्चा करने के साथ ही रिपोर्ट पर करेगी चर्चा
महानिदेशक लिली सिंह ने अंतिम प्रस्ताव के अध्ययन के लिए समिति का गठन किया है। विशेष सचिव द्वारा चिकित्सा की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। 2019 के बाद यह तीसरा ऐसा प्रस्ताव है, जब सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाया जाएगा। मामले में लिली सिंह का कहना है कि समिति बैठक करेगी और सेवानिवृत्ति आयु के बारे में बिंदुओं पर चर्चा करने के साथ ही रिपोर्ट पर चर्चा करेगी।
नई सेवा नियमावली 2020 में बदलाव की मांग
प्रांतीय चिकित्सा सेवा द्वारा डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 70 वर्ष किए जाने का विरोध किया जा रहा है एसोसिएशन का परीक्षा की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की बजाय नई सेवा नियमावली 2020 में बदलाव किया जाए। इसके तहत डॉक्टरों को सीधे लेवल पर भर्ती किए जाने के नियम के साथ ही पदोन्नति के अवसर सीमित कर दिए गए हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर फिर भी नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में पहले ही उन्हें प्रमोशन मिलना कठिन हो गया है। विशेषज्ञों की कमी को पूरा करने के लिए सेवानिवृत्ति आयु को ना बढ़ाकर पुरानी सेवा नियमावली 2004 में पदोन्नति की अच्छी व्यवस्था को कायम रखा जाए। नई सेवा नियमावली 2022 के कारण एमबीबीएस डॉक्टर को नुकसान उठाना पड़ रहा है। 3200 पदों पर विज्ञापन किया गया था। जिनमें से 357 विशेषज्ञ डॉक्टर ही शासन को मिल पाए थे। सेवा नियमावली को दोस्त करने के साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी पूरी हो जाएगी।
ज्ञात हो कि प्रदेश में चिकित्सकों और विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। जिसको देखते हुए 62 वर्ष की उम्र को बढ़ाकर 3 साल की पुनः नियुक्ति का विकल्प दिया गया है। इसके लिए हर जिला अस्पताल में पर भी तय किए गए हैं जबकि 60 वर्ष से 65 वर्ष किए जाने के बाद उनके विकल्प के साथ उसे 70 वर्ष तक करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। हालांकि इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि अभी तक जितने पद सृजित हुए हैं, वह 2007 के पहले के हैं। अब जनसंख्या में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में अपर निदेशक पद सीमित हो गए हैं।