नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश में हर तरफ हिन्दू मुसलमान (Hindu Muslim) के बीच एक खाई पैदा करने का माहौल बनाया जा रहा है, हालांकि सरकारें और दोनों समाजों के धर्म गुरु इस नफरत को फैलने से रोकने की काफी हद तक कोशिश कर रहे हैं लेकिन चंद उन्मादी और समाज विरोधी तत्व माहौल में घी (Hindu Muslim controversy) डालने का काम कर रहे हैं।
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से शुरू हुए विवाद के बाद निलंबित भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा के पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ की गई टिप्पणी ने माहौल को और गरम कर दिया, उत्तर प्रदेश से लेकर कई राज्यों में पत्थरबाजी की घटनाएं हुई , जुमे की नमाज के बाद भी देश में कई जगह उपद्रव हुआ।
इस बीच जुमे यानि शुक्रवार 10 जून को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने समाज के बुद्धिजीवियों और उलमाओं से टीवी चैनल्स पर होने वाली डिबेट में भाग नहीं लेने की अपील करते हुए टीवी चैनल्स के बहिष्कार की अपील की है। बोर्ड के पदाधिकारियों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा है कि ऐसे कार्यक्रमों का उद्देश्य रचनात्मक चर्चा कर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना नहीं बल्कि इस्लाम का उपहास उड़ाना है।
ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होकर बुद्धिजीवी और उलमा इस्लाम और मुसलमानों की कोई सेवा नहीं कर रहे हैं उल्टा परोक्ष रूप से इस्लाम और मुसलमानों का अपमान और उपहास ही करते हैं, इसलिए ऐसे टीवी चैनल का बहिष्कार करना ही उचित है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....