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बता दे कि यशवंत सागर 2000 एकड़ में फैला हुआ है। गंभीर नदी के पानी को रोककर इसके लिए बांध बनाया गया। जिसके कारण यशवंत सागर का निर्माण हुआ था। होलकर महाराज तुकोजीराव तृतीय ने इंदौर के पश्चिमी हिस्से में जलापूर्ति के लिए द्वारा इसे वर्ष 1900 बनवाया था। इसका नामकरण उन्होंने अपने बेटे यशवंतराव द्वितीय के नाम पर किया था। 1992 में ही से प्रमुख पक्षी का क्षेत्र घोषित किया गया था। 2017 में से रामसर साइट में शामिल किए जाने के प्रयास किए जा रहे थे लेकिन तब सफलता नहीं मिल पाई थी।
वही इंदौर के यशवंत सागर तालाब को रामसर साइट का दर्जा दिए जाने पर सीएम शिवराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय पर्यावरण और वन भूमि भूपेंद्र यादव का आभार माना है। बता दें कि यशवंत सागर के अलावा भोपाल का बड़ा तालाब, शिवपुरी के साख्य सागर तालाब सहित इंदौर के यशवंत सागर तालाब को रामसर साइट की सूची में शामिल किया गया है।
यशवंत सागर सारस का पर्यावरणीय वास माना जाता है। इसके अलावा यहां अन्य प्रवासी पक्षी भी आते हैं। तालाब में मछली पालन होता है। साथ ही इस तालाब से प्रतिदिन 30 एमएलडी पानी सप्लाई किया जाता है। यह इंदौर का पर्यटन स्थल भी है। बड़ी संख्या में यह जगह पर्यटकों को आकर्षित करता है।
पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने इंदौर के यशवंत सागर तालाब को मध्यप्रदेश की चौथी रामसर साइट का दर्जा मिलने पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई दी है। हरदीप डंग ने कहा कि यह ऐतिहासिक उपलब्धि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पर्यावरण-संरक्षण के लिए किये जा रहे लगातार प्रयासों के लिये केन्द्र शासन से मिली एक सशक्त पहचान है।
वही रामसर साइट की उपलब्धि मिलने के बाद पर्यावरण मंत्री हरदीप ने प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई दी है। साथ ही पीएम मोदी और पर्यावरण मंत्री का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि जिले में अब दो रामसर साइट हो गई है। 3 अगस्त सिरपुर तालाब और आज यशवंत सागर तालाब को रामसर साइट का दर्जा प्राप्त हुआ है। विश्व में हो रहे जलवायु असंतुलन और परिवर्तन के दौर में रामसर साइट की भूमिका विश्व के पर्यावरण सुधार में अति महत्वपूर्ण है।