लड़कियों..इन बातों को ज़िंदगी से दफ़ा करो

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। समाज में हमेशा से लड़के और लड़की के लिए अलग अलग नियम रहे हैं। लड़कियों को कैसे हंसना है इस बात से लेकर उनकी चाल ढाल, कपड़े, हेयर कट, विचार व्यक्त करने और तमाम बातों पर बंदिश रही है। हालांकि समय के साथ स्थितियां बदल रही हैं लेकिन फिर भी कुछ बातें हैं जो कंडीशनिंग के साथ लड़कियों की आदतों में भी शुमार हो जाती है। आज हम बताने जा रहे हैं कि लड़कियों को कौन सी ऐसी आदतें छोड़नी चाहिए, जो जेंडर बायस्ड हैं।

ये आदतें धीरे-धीरे आपको खत्म कर देंगी, तुरंत छुटकारा पाइये

  • अपना मत या विचार रखने से कभी पीछे मत हटिये। इसी के साथ अपने विचार या विचारधारा को लेकर माफी मत मांगिये। अक्सर ऐसा होता है कि कोई किसी बात पर टोके, उससे पहले खुद लड़कियां अपनी बात जाहिर करने से पीछे हट जाती हैं। अपनी सोच को खुलकर व्यक्त कीजिए और उनके लिए किसी से माफी मांगने की जरुरत नहीं है।
  • खुदपर दयाभाव या लाचारी महसूसना बंद कीजिए। हर किसी के जीवन में अच्छा बुरा समय आता है लेकिन लड़कियां अक्सर खुद को असहाय महसूस करने लगती है। ये बात आपको भीतर से तोड़ देती है। हर मुश्किल से लड़िये और ये भरोसा रखिये कि आप किसी भी तरह बेचारी या लाचार नहीं हैं।
  • हमेशा खुद को ‘ना’ कहना और दूसरों की बात पर ‘हां’ करना बंद कीजिए। आप खुद को हर समय पीछे नहीं धकेल सकतीं। दूसरों की बात पर हामी भरने और उन्हें खुश करने से जरुरी है कि पहले अपने लिए अपनी खुशियों को ना करना बंद करें। खुद को प्राथमिकता दें।
  • अपने शरीर को लेकर सहज रहिए। हमारे समाज में अब भी स्त्री अपने शरीर को लेकर एक अजीब संकोच से भरी रहती हैं। शरीर हमें प्रकृति ने दिया है और किसी का डीलडौल या सूरत कैसी है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप कैसी दिखती हैं इससे जरुरी है आप कैसा महसूस करती हैं।
  • कभी भी अपने कपड़ों को लेकर दूसरों को निर्णय न करने दें। आप क्या पहनेंगी, क्या सुविधाजनक है, क्या पसंद है या किस तरह के कपड़े आपको बेहतर फील कराते हैं ये आप तय करेंगी। इसे लेकर किसी और को चुनाव का अधिकार न दें।
  • दूसरी लड़कियों को जज करना बंद कीजिए। कई बार हम किसी ईर्ष्या, फ्रस्ट्रेशन या अपना हालात से ऊबकर अन्य लड़कियों की आलोचना शुरू कर देते हैं। ऐसा बिल्कुल मत कीजिए। आज एक यूनविर्सल-सिस्टरहुड की आवश्यकता है और इस बहनापे का हिस्सा बनिये।
  • हर किसी को खुश नहीं किया जा सकता। ये कोशिश बंद कीजिए। हम हमेशा हर समय कर किसी को खुश नहीं कर सकते। ये संभव ही नहीं। इसलिए दूसरों की खुशी की बजाय अपने बारे में सोचिये।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।