ज्योतिषियों के अनुसार, देवशयनी एकादशी के पहले यानि अगले साल 28 जून तक शादियों के मुहूर्त है। सनातनी पंचांगों के अनुसार, 4 नवंबर के बाद 26 नवंबर को दोपहर शुक्र उदय होने के बाद शादी के आयोजनों की संख्या बढ़ेगी। पिछले दो साल की अपेक्षा इस साल बहुत कम मुहूर्त हैं। वहीं, 1 नवंबर से जैन समाज में 1 से 8 तक अष्टान्हिका पर्व, 9 को सर्वार्थ सिद्धि, 14 व 15 को पुष्य नक्षत्र, 20 को सर्वार्थ व अमृत सिद्धि, 29 को द्विपुष्कर योग हैं।
इन तारीखोें में नहीं होंगी शादियां
- मलमास – 16 दिसंबर, 2022 से 14 जनवरी, 2023
- मलमास – 14 मार्च से 13 अप्रैल, 2023
- गुरु अस्त – 2 अप्रैल से 29 अप्रैल, 2023
- शुक्र अस्त – 5 अगस्त से 18 अगस्त, 2023
दरअसल, आषाढ़ शुक्ल की देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु सोने के लिए चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी तक शयन में होते हैं। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य आमतौर पर सम्पन्न नहीं कराया जाता है। देवोत्थान एकादशी का महत्व सबसे अधिक है। स्वर्ग में भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मीजी का जो महत्व है। वहीं, धरती पर तुलसी का विषेश महत्व है। इसी के चलते भगवान को जो व्यक्ति तुलसी अर्पित करता है उससे वह अति प्रसन्न होते हैं। इस दिन लाखों की संख्या में भक्तगण व्रत रखते हैं और तुलसी विवाह को संपन्न कराया जाता है। जिसके बाद से शादियों का मुहूर्त का योग बन जाता है।
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वहीं, इस व्रत को करने से दाम्पत्य जीवन की सारी समस्याएं खत्म हो जाती है। इसके लिए नदी के जगह आप अपने ऊपर गंगाजल और तुलसी पत्ते पानी में डालकर स्नान कर सकते हैं या फिर आप नदी में भी स्नान करने जा सकते हैं। इस दिन भूलकर भी तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। इस दिन पति-पत्नी दोनों एक साथ तुलसी विवाह की पूजा करें।
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