मां कात्यायनी देवी दुर्गा का छठा स्वरूप हैं। जब पृथ्वी पर असुरों का आतंक बढ़ गया था, तब ऋषि-मुनियों और समस्त देवताओं ने मां दुर्गा से प्रार्थना की। मां दुर्गा उनकी प्रार्थना से प्रसन्न हुईं और कत्यायनी नामक रूप में प्रकट हुईं। मां कात्यायनी ने असुरों का वध कर देवताओं और ऋषि-मुनियों को मुक्ति दिलाई।
कैसा है मां कात्यायनी का रूप
मां कात्यायनी, नवदुर्गा के छठे स्वरूप, का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। इनका वर्ण सोने के समान चमकीला और उज्जवल होता है। इनकी चार भुजाएं हैं, जो शक्ति और समृद्धि का प्रतीक हैं। ऊपरी दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है, जो भक्तों को अभय प्रदान करने का प्रतीक है। नीचे दाहिना हाथ वर मुद्रा में है, जो भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करने का प्रतीक है। ऊपरी बायां हाथ में तलवार है, जो दुष्टों का नाश करने का प्रतीक है। नीचे बायां हाथ में कमल का फूल है, जो ज्ञान और पवित्रता का प्रतीक है।
मां कात्यायनी की पूजा विधि
1. नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है।
2. पूजा विधि अन्य देवियों की पूजा विधि के समान ही होती है।
3. मां कात्यायनी को लाल रंग के वस्त्र, लाल फूल, सिंदूर, फल, मिठाई और नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
4. मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप किया जाता है।
5. उपरोक्त मंत्रों में से किसी एक मंत्र का 108 बार या अपनी इच्छानुसार कम या ज्यादा बार जाप करें।
6. जाप करते समय ध्यान मां कात्यायनी पर केंद्रित करें और उनसे अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
7. मां कात्यायनी की आरती उतारें।
मां कात्यानी को प्रसन्न करने के लिए किन मंत्रों का करें जाप
1. या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
2. चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
3. क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)