Sahityiki : साहित्यिकी में आज पढ़िये मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘कौशल’

Sahityiki : आज शनिवार है और अपनी पढ़ने की आदत सुधारने के क्रम हम पढ़ेंगे कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की एक कहानी। वीकेंड का समय होता है थोड़े आराम का, थोड़े मनोरंजन का। मनोरंजन में हम टीवी, फिल्में, आउंटिंग तो करते ही हैं लेकिन धीरे धीरे हमारी पढ़ने की आदत कम होती जा रही है। भागमभाग वाले जीवन में फुर्सत का कुछ समय निकालकर हम अपने पढ़ने की आदत को बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। तो इसी सिलसिले में आज पढ़ते हैं ये कहानी।

कौशल

पंडित बलराम से उनकी पत्नी माया काफी समय से एक हार की मांग कर रही थी। हर बार पंडित उनकी बातों को टाल देते थे। वो कभी अपनी पत्नी से यह नहीं कह पाते थे कि उनके पास हार खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। वो हमेशा कहते, “घर में हार रखने से चोरी हो जाता है। ऊपर से हमेशा जौहरी हार के दाम को बढ़ाकर ही बोलता है। इन गहनों को खरीदने से किसी तरह का फायदा नहीं होता है। बस कुछ देर के लिए सजने संवरने के लिए काम आने वाले हार से इतनी मुसीबत आती है, तो इसे खरीदना बेकार ही है।

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About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।