दरअसल अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बांटे जाने वाले खाद्यान्न को सरकारी और निजी गोदाम स्तर पर निजी एजेंसी से जांच कराने का निर्णय लिया गया है। वहीं सरकारी और निजी गोदाम इसके दायरे में आएंगे। आंकड़े की बात करें तो अभी तक सरकारी निजी गोदाम में 185 लाख टन गेहूं और चावल रखे हुए हैं। जिसकी जांच की जाएगी। वहीं जांच करने के बाद इस खाद्यान्न को उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा।
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बता दे कि मध्य प्रदेश में हर महीने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 5 उपभोक्ताओं को खाद्यान्न वितरण का कार्य किया जा रहा है। इससे पहले बालाघाट, मंडला, सिवनी सहित कई जिलों में चावल की गुणवत्ता को लेकर केंद्र सरकार ने जांच कराई थी। जिसके बाद बड़े पैमाने पर अमानक चावल पर जाने के बाद इसे वापस मिलर को लौटा दिया गया था और गुणवत्ता युक्त चावल लिया गया था।
साथ ही उचित मूल्य की गई दुकानों में भी मिलावटी गेहूं करने की शिकायत प्राप्त हुई थी। जिसमें मिट्टी और धूल मिलावटी गेहूं को लेकर एक बार फिर से कार्रवाई की जा चुकी है। जिसके बाद अब उपभोक्ताओं तक उच्च गुणवत्ता वाले खाद्यान्न पहुंचाने से पहले अब इसकी जांच निजी एजेंसियों से करवाई जाएगी। वहीं निजी एजेंसियों से मानकता पर जाँच सर्टिफिकेट्स प्राप्त करने के बाद यह खाद्यान्न उपभोक्ताओं तक पहुंचेंगे।
जानकारी के मुताबिक गेहूं पंजीयन के बाद जो गेहूं मिलिंग के बाद चावल गोदाम में जमा किए जाते हैं। उन में गड़बड़ी की शिकायत लगातार मिलती रहती है। गृह निगम के अधिकारी गोदामों की जांच करते हैं लेकिन सरकार ने निजी एजेंसी से जांच कराने का निर्णय लिया वहीं सरकारी और निजी गोदाम भी इनके दायरे में आएंगे और इसकी भी जांच की जाएगी। साथ ही रखे अनाज की जांच करके इसकी रिपोर्ट खाद्य नागरिक आपूर्ति को सौंपी जाएगी।
यदि अनाज मानक पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में एजेंसी की रिपोर्ट पर संचालक की जिम्मेदारी तय की जाएगी। निजी एजेंसी से जाँच के लिए निविदा में सबसे कम दर 3रूपए 60 पैसे प्रति क्विंटल की है। इसके बाद राज्य शासन को इस पर लगभग 6:30 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।