भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सुव्यवस्थित ध्वनि जो रस की सृष्टि करे..संगीत है। इसमें गायन, वादन और नृत्य का समावेश होता है। संगीत में जादू होता है। जब भी हम कोई मधुर गीत सुनते हैं तो हमारे मन को सुकून मिलता है। संगीत की स्वर लहरियां आनंद तो देती ही है, हमारी भावनाओं को बहुत तरह से प्रभावित भी करती हैं। कई बार ऐसा हुआ होगा कि किसी गीत, मुखड़े या धुन को सुनकर हमारे रोंगटे खड़े हो गए, हम मुस्कुराने लगे या फिर आंखों से आंसू आ गए। इसका साफ अर्थ है कि म्यूजिक हमारे इमोशन्स से जुड़ा हुआ है। ये हमें एकाग्रचित्त होने में भी मदद करता है और अगर किसी चीज से ध्यान हटाना हो तो उसमें भी सहायक है। कई बार जब हमारा मूड खराब होता है या हम बीमार होते हैं तो दोस्त और डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि अपनी पसंद का म्यूजिक सुनें। इस तरह कुल मिलाकर संगीत एक जादू की तरह असर करता है।
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यही वजह है कि म्यूजिक थेरेपी (music therapy) अस्तित्व में आई। ये ऐसी प्रक्रिया है जिसमें संगीत के माध्यम से मरीज़ों का इलाज किया जाता है। सात सुरों के जादू से कई तरह की बीमारियों में लाभ देखा गया है। खासकर मनोवैज्ञानिक या दिमारी परेशानी अथवा रोग में म्यूजिक थेरेपी बहुत कारगर सिद्ध हुई है। इसमें डॉक्टर अपने मरीजों के उपचार के लिए दवाइयों के साथ संगीत का भी प्रयोग करते हैं। अलग-अलग तरह साउंड वाइब्रेशंस की एक सीरीज है, जिससे मरीज के शरीर में सकारात्मक बदलाव नोटिस किए गए हैं। इसी आधार पर संगीत का उपयोग एक ट्रीटमेंट की तरह किया जाता है। इसमें संगीत सुनने के साथ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाना, लिरिक्स लिखना और कहीं कहीं नृत्य को भी शामिल किया जाता है।