भोपाल, डेस्क रिपोर्ट । प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि पी एफ आई (PFI) संगठन देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन गया था इसलिए उस पर प्रतिबंध (Ban on PFI) लगाया जाना जरूरी था। पी एफ आई पर तो प्रदेश में नकेल कस दी गई है l उनके सहयोगी स्लीपर सेल भी हमारे निशाने पर हैं उनके खिलाफ कार्यवाही जारी रहेगी।
गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा (Dr Narottam Mishra) ने कहा कि देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा बन चुके पी एफ आई याने पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) संगठन पर केंद्र द्वारा प्रतिबंध करने की कार्यवाही का मैं स्वागत करता हूँ और प्रधानमंत्री मोदी जी का आभार मानता हूँ कि उन्होंने कहा कि इस संगठन कि देश विरोधी गतिविधियों के सबूत मिलने के बाद ही केंद्र की सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे देश में एक साथ कार्यवाही की थी। उसके बाद से लगातार कार्यवाही जारी है।
प्रदेश में पहले इस संगठन के 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया उसके बाद उसके 21 सदस्य पकड़े गए। अब आगे भी यह कार्यवाही जारी रहेगी। जैसे जैसे पूछताछ में नाम सामने आते जाएंगे संगठन और उसके स्लीपर सेल के सदस्यों पर कार्यवाही की जाएगी। पी एफ आई पर पूरी तरह नकेल कसने तक यह अभियान लगातार जारी रहेगा।
गृह मंत्री (MP HM Dr. Narottam Mishra) ने कहा कि प्रदेश शांति का टापू है यहां हमने देश विरोधी किसी संगठन को कभी पनपने नहीं दिया। सिमी जैसे संगठन पहले ही खत्म कर दिए गए थे अब पी एफ आई को भी हम इतिहास बना देंगे। उन्होंने कहा कि पी एफ आई देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा था। जो सबूत मिले ही उसमे इस संगठन की केरल, कर्नाटक सहित कई राज्यो में हुई हत्याओं में हाथ था। देश विरोधी गतिविधियों में यह संगठन लिप्त था। आतंकी संगठन आईएसआईएस से भी इसका संबंध था। इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाना जरूरी था।
गृह मंत्री ने एक सवाल पर कहा कि देश विरोधी व्यक्ति या संगठनों पर कार्यवाही होती है तो कांग्रेस और दिग्विजय सिंह के पेट में दर्द होने लगता है। स्वाभाविक भी है कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती आई है, दिग्विजय सिंह तो जाकिर नायिक को शांति दूत कहते हैं कुख्यात आतंकी ओसामा लादेन उनके लिए लादेन जी हैं। ऐसे लोगों को तो पी एफ आई जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने पर दुख तो होगा ही।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....