इंदौर में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के शिल्पकार बने कैलाश विजयवर्गीय

इंदौर,गौरव शर्मा। इंदौर में महापौर पद पर भाजपा के पुष्यमित्र भार्गव ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है। अंतिम परिणामों के मुताबिक भार्गव 1,33,000 वोटों से विजयी हुए हैं। शुरुआत में कांटे की टक्कर मानी जा रही इस सीट को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की कड़ी मेहनत ने आसान विजय में बदल दिया।

नगरीय निकाय चुनावों की घोषणा के काफी पहले ही इस बात का ऐलान हो चुका था कि कांग्रेस की ओर से महापौर पद के प्रत्याशी संजय शुक्ला होंगे। कोरोना काल की गई अपनी अथक मेहनत,सेवा और लोगों के साथ लगातार संवाद स्थापित करने वाले संजय शुक्ला बेहद लोकप्रिय विधायक हैं और यह माना जा रहा था कि संजय शुक्ला के रूप में यदि कोई इंदौर में भाजपा की ओर से टक्कर दे सकता है तो वह सिर्फ रमेश मेंदोला है। लेकिन जब पार्टी की ओर से यह गाइडलाइन आ गई कि किसी भी जीते हुए विधायक को पार्टी में पद का प्रत्याशी नहीं बनाएगी तब मेंदोला के चुनाव लड़ने की संभावनाएं खत्म हो गई थी। अचानक पुष्यमित्र भार्गव के रूप में भाजपा प्रत्याशी की घोषणा हुई तो राजनीतिक हलकों में मानो तूफान सा आ गया। राजनीति के प्रकांड पंडित यह मानने लगे थे कि अब संजय शुक्ला आसान विजय की ओर अग्रसर है। लेकिन पुष्यमित्र भार्गव को टिकट मिलने के साथ ही उनके राजनीतिक रथ को सारथी के रूप में कैलाश विजयवर्गीय ने संभाला और रमेश मेंदोला सहित अपनी पूरी टीम को सक्रिय कर दिया। राजनीति के जानकार बताते हैं कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने या बेटे के चुनाव में इतनी मेहनत कभी नहीं की जितनी इस चुनाव में की। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लोगों से बातचीत की, संवाद स्थापित किया और उनके मन में यह विश्वास जताया कि पुष्यमित्र भार्गव के रूप में कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला ही चुनाव लड़ रहे हैं। परिणाम सबके सामने है। रविवार को सुबह जब मतगणना शुरू हुई तब से लेकर आखिरी तक पुष्यमित्र भार्गव लीड बनाए रहे और अंत में ऐतिहासिक विजय हासिल करने में सफल हुए।

Continue Reading

About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।