दरअसल, नारकोटिक्स विभाग ने लाइसेंस जारी करना बंद कर दिए। इसके बाद से पोस्ता व्यवसाय को लेकर परेशानी बढ़ गई। नीमच कृषि मंडी में 3 माह से पोस्ता खरीदी बंद है। नीमच की मोहलत मांगी और अंततः बैठक में जिले सहित आसपास के किसान मंडी शुरू करने पर कोई समाधान परेशान हैं। वे पोस्ता नहीं बेच नहीं निकल पाया। ऐसे में अफीम पा रहे हैं तो कुछ किसानों को की खेती करने वाले किसानों की मजबूरी में जावरा मंडी का रुख परेशानी बरकरार है। मंडी शुरू करना पड़ रहा है। वहां भी नहीं होने से उनका पोस्ता नहीं पोस्ता का उतना मूल्य नहीं मिल बिक रहा है।
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बता दे अफीम उत्पादन की पूरी प्रक्रिया में किसान के पास आखिरी में पोस्ता बचता है। डोडे की चिराई व लुआई के समय अफीम के कुछ अंश पोस्ता दाने में मिल जाते हैं। व्यापारी पोस्ता खरीदने के बाद उसकी छंटाई करता है। इससे अफीम के अंश अलग हो जाते हैं और पोस्ता अलग बाद में व्यापारी को अफीम के अंश नष्ट करना होते हैं। ऐसे में पुलिस कब उन पर कार्रवाई कर दे यह डर व्यापारियों को रहता है।
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फिलहाल, नीमच कृषि मंडी में पोस्ता की खरीदी बंद है। इसमें मंडी प्रशासन का कोई दोष नहीं है। साथ ही, व्यपारियों का कहना है कि, वो चाहते हैं मंडी में पोस्ता की नीलामी शुरू हो। मंडी प्रशासन सिर्फ बिकने के लिए आई उपज की नीलामी करवाती है। इस मामले में मंडी की ओर से कोई समस्या नहीं है। किसान अफीम की पैदावार ही इसलिए करता है कि उससे अर्जित होने वाले पोस्ता को संकट के समय बेच सके। साथ ही, बोवनी के समय पोस्ता बेच खाद-बीज खरीद सके। नीमच मंडी में पोस्ता खरीदी बंद है, जिसके कारण किसान खाद-बीज नहीं खरीद पा रहा। मंडी में खरीदी चालू रहती तो उधार में खाद-बीज लाने की जरूरत नहीं पड़ती।
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पोस्ता खरीदी बिक्री व छनाई पर सरकार ने नीति स्पष्ट नहीं है। पहले सरकार व्यापारियों को पोस्ता छनाई के लिए लाइसेंस देती थी। अब लाइसेंस देना बंद कर दिया है। व्यापारी को स्वाभाविक रूप से पुलिस या नारकोटिक्स के कार्रवाई का डर रहता है। व्यापारी यही चाहते हैं कि पोस्ता पर सरकार नीति व्यवसाय करने में कठिनाई न हो।
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