Betul News: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हुआ नवाचार, महिला स्टाफ को 24 घंटे के लिए सौंपी जिला जेल की जिम्मेदारी
जेल में आमतौर पर खूंखार बंदियों से पाला पड़ता है। इसलिए यहां पुरुष स्टाफ का होना जरूरी माना जाता है। लेकिन बैतूल की जेल में महिला स्टाफ ने एक ही दिन में ऐसी व्यवस्था संभाली जिसे देख पुरुष स्टाफ भी दंग रह गया।
Betul News: शुक्रवार 8 मार्च को पूरे देश और दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इसी बीच महिला दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक नवाचार किया गया। जहां 24 घंटे के लिए जिला जेल की पूरी जिम्मेदारी महिला स्टाफ को दी गई। जिसे स्टाफ बखूबी तौर से निभाया है।
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महिला स्टाफ ने बखूबी निभाया जिम्मेदारी
दरअसल, जिला जेल के जेलर योगेंद्र कुमार तिवारी ने महिलाओं को सम्मान देने के लिए ये नवाचार किया था। जहां जेल के हर विभाग की बागडोर महिला स्टाफ के हाथों में दी गई थी। इस दौरान जिला जेल के कुल 429 बंदियों की निगरानी, भोजन, दिनचर्या और जेल की चाक चौबंद की सुरक्षा महिला स्टाफ ने बखूबी तौर से निभाया। स्टाफ ने इस पूरी कार्य को दमदारी के साथ पूरा करके यह संदेश दिया है काम छोटा हो या चुनौतियों से भरा हो महिलाएं हर जिम्मेदारी का सामना करने के लइए तैयार रहती हैं।
गौरतलब है कि जेल में आमतौर पर खूंखार बंदियों से पाला पड़ता है। इसलिए यहां पुरुष स्टाफ का होना जरूरी माना जाता है। लेकिन बैतूल की जेल में महिला स्टाफ ने एक ही दिन में ऐसी व्यवस्था संभाली जिसे देख पुरुष स्टाफ भी दंग रह गया। वहीं उम्मीद जताई जा रही है कि इस नवाचार की सफलता से आने वाले समय मे जेलों में महिला स्टाफ का वर्चस्व दिखाई दे।
बैतूल से वाजिद खान की रिपोर्ट
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Shashank Baranwal
पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–
खींचो न कमानों को न तलवार निकालो
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो
मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।