इसकी शिकायत भी कई बार जिला प्रशासन से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक की जा चुकी है। लेकिन कोई इसका समाधान नहीं निकाल पाया। ये गांव सागर के बुंदेलखंड में जंगल से लगे हुए है। लोग धीरे-धीरे घर और खेती छोड़ने पर मजबूर है।
बड़ी बात यह है कि बंदर, हिरण, सुअर और नीलगाय जैसे जानवर किसानों की फसलों पर नजर रखते हैं, जैसे ही किसान वहां से जाता है फसलों को लूटने के लिए यह लुटेरे काम पर लग जाते हैं। किसानों का कहना है कि दो-तीन सालों से लगातार परेशानी बढ़ती जा रही है। हमारी मेहनत मिट्टी में मिल जाती है और फसलों को बचाने के लिए हमारे लिए चुनौती खड़ी हो गई है। हम कैसे अपने घर का गुजारा करें हमें खेती छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
किसानों ने छोड़ी इन फसलों की खेती
सागर के अधिकतर गांव में यही हाल है। फसलों के ‘लुटेरों’ की वजह किसान चने, गेहूं की फसल नहीं कर पा रहे हैं। लोग बच्चों को खेत पर अकेला भेजने से भी डरते हैं। ऐसे में खेत की रखवाली के लिए सबसे ज्यादा समय निकालना पड़ता है। किसानों का कहना है कि जब हम लोग चने की खेती करते थे तभी जंगली जानवर और बंदर सब खा जाते थे। जिसकी वजह से चने की खेती बंद करनी पड़ी। अब वे गेहूं की फसलों को भी बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे में हम हमारा गुजारा कैसे करें।
इस मामले को लेकर किसानों ने सीएम हेल्पलाइन में भी कई बार शिकायत कर दी लेकिन किसी ने एक ना सुनी। अन्य जगहों पर किसान शिकायत भी कर चुके हैं। कहीं से कोई समाधान नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से अब किसानों को अपने काम को बंद करना पड़ रहा है।
ये गांव है लुटेरों की जत में
सागर केसनौधा, सिमरिया, धारखेड़ी सबसे ज्यादा प्रभावित है। उसके बाद मिडवासा, चंदोख, गडर, छापरी, मझगुवा, केरबना, पड़रिया, परसोरिया, अमोदा, डूंगासरा जैसे गांव है जहां किसानों ने चने और मसूर की खेती करना बंद कर दी।