द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 99 साल की उम्र में ब्रह्मलीन

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नरसिंहपुर, डेस्क रिपोर्ट। ज्योतिष और द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 99 वर्ष की आयु में ब्रह्मलीन हो गए। उन्होंने नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। रविवार दोपहर उनका स्वास्थ्य ज्यादा बिगड़ा और करीबन दोपहर साढ़े तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली, उनके ब्रह्मलीन होने की खबर जैसे ही फैली, शोक की लहर फैल गई। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती  जी ने साल 1942 के इस दौर में जब हो महज 19 साल के थे तब उन्होंने क्रांतिकारी साधु के रूप में लड़ाई लड़ी थी और वह खासे प्रसिद्ध भी हुए थे, क्योंकि उस समय देश में अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई चल रही थी।

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बताया जा रहा है कि जैसे ही भक्तों को उनके हालत गंभीर होने का पता चला, भक्तों की भीड़ उनके दर्शनों के लिए आश्रम पहुंचना शुरू हो गई, भक्त उनके स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे थे लेकिन जैसे ही उनके गौलोक गमन की खबर मिली, सब गमगीन हो गए। हाल ही में जगतगुरु शंकराचार्य का 99वां जन्मदिन हरियाली तीज के दिन मनाया था। उस समय अपने भक्तों के बीच वह पहुंचे थे और मिलने आने वालों को आशीर्वाद भी दिया था। जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य थे। बताया जाता है कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। महज 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान वो उत्तरप्रदेश के काशी भी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली। जगतगुरु शंकराचार्य के देवलोक गमन की सूचना मिलने पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने  दुख जताया, उन्होंने ट्वीट किया कि यह समाचार बेहद दुखद और पीड़ादायक है।

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Harpreet Kaur