Supreme Court’s big decision on gas tragedy :भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ितों के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए केंद्र की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस याचिका में गैस पीड़ितों को यूनियन कार्बाइड से करीब 7400 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग की गई थी। यूनियन कार्बाइड से जुड़े इस मामले में साल 2010 में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी और इसे लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का संविधान पीठ ने इसे खारिज कर दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में ये कहा
इस मामले में केंद्र सरकार ने 2010 में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी। 13 साल पुरानी याचिका पर इसी साल 12 जनवरी को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने ये फैसला सुनाया। उन्होने कहा कि केस फिर से खोलने पर पीड़ितों की मुश्किलें बढ़ेंगी। अदालत ने कहा कि वह केंद्र के कदम से निराश है। 50 करोड़ी रूपये अब भी आरबीआई के पास पड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हम ये याचिका स्वीकार करते हैं तो ‘पैंडोरा बॉक्स’ खुल जाएगा। उसने कहा कि समझौते के तीन दशक बाद मामले को नहीं खोला जा सकता। अदालत ने केंद्र सरकार पर लापरवाही बरतने की बात करते हुए कहा कि सरकार मुआवजे में कमी और बीमा पॉलिसी लेने में विफल रही। अदालत ने केंद्र की विफलता पर असंतोष व्यक्त किया।