Gwalior Crime News : ग्वालियर पुलिस (Gwalior Police) ने नेशनल बॉक्सिंग प्लेयर पर पिछले दिनों गोली(Firing On National Boxing Player) चलाने वाले तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, एक आरोपी घटना के बाद परसों ही तुरंत पुलिस के हत्थे चढ़ गया था जबकि दो अन्य आरोपियों को पुलिस ने शनिवार की शाम गिरफ्तार कर लिया, आज पुलिस ने उनके ही क्षेत्र में उनका जुलूस निकाला। हालांकि पुलिस का कहना है कि गाड़ी ख़राब हो गई थी इसलिए जांच के लिए आरोपियों को पैदल ले जाना पड़ा, जुलूस नहीं निकाला।
ग्वालियर में रहने वाली एक बॉक्सिंग प्लेयर नेशनल खिलाड़ी है, वो नाबालिग है और जूनियर टूर्नामेंट खेलती है, वो हाल ही में विशाखापट्टनम से राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल होकर लौटी है, शुक्रवार को वो अपने दोस्त के साथ झाँसी रोड थाना क्षेत्र के महाराणा प्रताप नगर से गुजर रही थी तभी एक्टिवा पर आय यतिन बदमाशों ने उसे रोका, अभद्रता की और गोली चलाकर भाग गए, हालांकि गोली से कोई घायल नहीं हुआ लेकिन क्षेत्र में दहशत हो गई और खिलाड़ी और उसका दोस्त सहम गए।
स्थानीय लोगों ने महिला खिलाड़ी और उसके दोस्त को हौसला दिया और पुलिस को फोन किया, सूचना मिलते ही झाँसी रोड थाना पुलिस मौके पर पहुंची, खिलाड़ी और उसके दोस्त से बात की, स्थानीय लोगों से बात की और सीसीटीवी खंगाले, सीसीटीवी में आरोपी दिखाई दे गए जिनकी पहचान मोंटी चौहान, राज जादौन और आकाश सक्सेना के रूप में हुई , मालूम चला कि आरोपी नाबालिग खिलाड़ी के घर के पास ही रहते हैं।
पुलिस ने मामला दर्ज किया और तत्काल मोंटी चौहान को गिरफ्तार कर लिया और उसके बाद शनिवार शाम शेष दोनों आरोपी राज जादौन और आकाश सक्सेना को भी गिरफ्तार कर लिया। आज रविवार को झाँसी रोड थाना पुलिस ने आरोपियों का जुलूस उनके ही क्षेत्र में निकाला।
टी आई झाँसी रोड संजीव नयन शर्मा ने बताया कि पूछताछ में पता चला है कि आरोपी खिलाड़ी से जबरन दोस्ती करना चाहते थे, वे पहले भी नाबालिग राष्ट्रीय खिलाडी का रास्ता रोक चुके हैं, आरोपियों का जुलूस निकालने के सवाल पर टी आई ने कहा कि पुलिस आरोपियों को घटना स्थल की तरफ जा रही थी तब भी रास्ते में गाड़ी ख़राब हो गई और उन्हें पैदल ले जाना पड़ा, जुलूस निकालने जैसी कोई बात नहीं है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....