मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लंबे समय से पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा सेंट्रल यूनिवर्सिटी स्टेटस दिए जाने की मांग की जा रही है। इसके लिए पीयू प्रोफेसरों द्वारा कई बार हस्ताक्षर अभियान चलाकर कुलपति को सौंपा गया था, ताकी इसकी मंजूरी मिलते ही रिटायरमेंट की उम्र भी बढ़ाई जा सके।वही प्रोफेसर्स की रिटायरमेंट उम्र बढाने का प्रस्ताव 2011 में सीनेट ने पास कर MHRD को भेजा था, लेकिन कोई फैसला नहीं लिया गया क्योंकि सीनेट का प्रस्ताव, मंत्रालय में पीयू में सेंट्रल सर्विसेस रूल्स को लेकर भी एकमत नहीं है।
इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंच गया । फिलहाल प्रोफेसर्स की रिटायरमेंट उम्र 60 से 65 किए जाने का मामला पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में लंबित है, जिस पर 30 अगस्त को सुनवाई होनी है, इसमें केंद्र सरकार पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने पर अपना पक्ष रखेगी, इसके बाद ही अंतिम फैसला हो पाएगा, अगर यहां से भी 2022 अंत तक राहत नहीं मिली तो 2022 में कई प्रोफेसर्स 62 में ही रिटायर हो जाएंगे।वही केंद्र सरकार ने भी 209 करोड़ पर 6 फीसद सालाना बढ़ोतरी से अतिरिक्त बजट देने से इंकार कर दिया है।
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वही पीयू में 1380 शिक्षकों के मंजूर पदों के लिए 1 हजार करोड़ से अधिक का प्रस्तावित बजट भी अटका हुआ है।इधर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नए वेतनमान की घोषणा के बाद अबतक नोटिफिकेशन जारी नही किया गया है। पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने भी मांग की है कि पंजाब यूनिवर्सिटी में रिटायरमेंट उम्र 60 से 65 की जाए और सभी को नया वेतनमान दिया जाए, इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया है।